Tuesday, March 6, 2012

चंद अल्फ़ाज़



1.



ज्यादा कुछ नहीं , बस थोड़ी सी हरारत है .

थोड़ी बीमार थी कल माँ , उसके पैर दबाये थे 

माँ तो रातों जग कर भी , तरोताजा उठती थी .





2.



ज़िंदगी है तो ग़म भी सहते जा रहे हैं .

कल सुना दुनिया ख़त्म हो रही है ,

शायद वो आ रहे हैं , इतनी तबाही लेकर .





3.



सहमी सी है , अभी नयी आई है .

फिर ये तो छोटी सी बिल्ली है ,

हमारी बहू तो हफ्ते में सब में घुल गयी थी .

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