Bheegi Mitti | भीगी मिट्टी
सोंधा सा, गीला सा, धीमा सा नशा .
Sunday, September 8, 2013
गुलाम
भाषा कारागार है
जकड़ती सीमाओं की,
जहाँ
भिंचे घुटने
निरंतर सिकुड़ते व्यास को
ठगने,
उदर की गहराई नापते हैं।
मस्तक-हथौड़ी पर,
लहूलुहान दीवारें
पटकती है गुलाम।
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